Panchayati Raj In Rajasthan | राजस्थान में पंचायती राज

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Panchayati Raj In Rajasthan

Panchayati Raj In Rajasthan  भारत में पंचायती राज की मान्यता सदियों से रही है गांधी जी की मान्यता थी कि भारत की आत्मा गांव में बसती है स्वतंत्र भारत के संविधान के अनुच्छेद 40 में यह प्रावधान भी किया गया कि राज्य ग्राम पंचायत का संगठन करने के लिए अग्रसर होगा और उनको ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हो इस उद्देश्य से प्रेरित होकर भारत सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में सुधार करने के लिए समय-समय पर विभिन्न कदम उठाए

Panchayati Raj In Rajasthan

राजस्थान में पंचायती राज

  • 2 अक्टूबर 1952 को भारत सरकार द्वारा ग्रामीण विकास हेतु सामुदायिक विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया
  • 1957 ईस्वी में सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में बलवंत राय मेहता समिति का गठन किया जिसकी सिफारिश के आधार पर 2 अक्टूबर 1959 ईस्वी में नागौर में सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित का त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का आरंभ किया
  • 1977 ईस्वी में केंद्र सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को और प्रभावी बनाने हेतु अशोक मेहता समिति का गठन किया जिसने 1978 ईस्वी में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें पंचायत समिति स्तर को समाप्त कर द्वीस्तरीय व्यवस्था की सिफारिश की गई
  • 1985 ईस्वी में ग्रामीण विकास की प्रशासनिक व्यवस्था एवं गरीब उन्मूलन समस्याओं हेतु घटित जी. वि. के राव समिति ने जिला स्तर पर योजनाएं  बनाने एवं नियमित निर्वाचन करने की सिफारिश की थी
  • 1986 में लक्ष्मीमल सिंघवी समिति ने ग्राम पंचायत को अतिरिक्त वित्तीय साधन देकर अधिक सक्षम बनाने पर बल दिया तथा साथ ही पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता दिए जाने पर भी विशेष बल दिया
  • सरकारिया आयोग ने निर्धारित समय पर निर्वाचन करने और पंचायती राज संस्थाओं को भंग नहीं किया जा सके इस बारे में कानून की आवश्यकता बताई
  • पी. के. थुंगन समिति 1989 में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने एवं निर्धारित समय पर निर्वाचन करने तथा जिला परिषद को योजना एवं विकास अभिकरण बनाने का सुझाव दिया
  • हरलाल सिंह खर्रा समिति 1990  0 में ग्रामीण सुविधाओं एवं आवश्यकताओं से जुड़े सभी प्रशासनिक मामले में विशेष का शिक्षा आयुर्वेद स्वास्थ्य हेडपंप आदि में पंचायती राज संस्थाओं का नियंत्रण आवश्यक बताया

73वां संविधान संशोधन 1993

  • पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने पंचायती राज व्यवस्थाओं को अधिक से दृढ़ करने देश के सभी राज्यों में पंचायती राज की अनिवार्यता एवं एकरूपता लाने के दृष्टिकोण से भारत सरकार द्वारा 24 अप्रैल 1993 को तीन राज्यों मिजोरम में कार्य नागालैंड को छोड़कर संपूर्ण देश में प्रयुक्त संशोधन अधिनियम लागू किया गया संविधान के अनुच्छेद 243 और 243 क  से  243 ण तथा अनुसूची 11 इसी उद्देश्य से संविधान में जोड़े गए
  • संविधान में पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में जो प्रावधान किए गए उनमें प्रमुख निम्न है-
  • पंचायती राज व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर ग्राम सभा होगी ग्राम सभा की शक्तियों के संबंध में राज्य विधान मंडल द्वारा कानून बनाया जाएगा
  • सभी राज्यों में पंचायती राज्य की त्रिस्तरीय पद्धति लागू की गई लेकिन जिन राज्यों में जनसंख्या 20 लाख से कम है वहां बीच के स्तर की इकाई संस्था गठित करने की स्वतंत्रता राज्य सरकारों पर छोड़ दी गई है
  • हर 5 वर्षों में अनिवार्य रूप से चुनाव होंगे
  • पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की व्यवस्था एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग करवाइए
  • ग्राम पंचायत की तरह पंचायत समितियां एवं जिला परिषदों के सदस्य का निर्वाचन भी व्यस्त मतदाताओं द्वारा सीधे ही होगा
  • पंचायती राज के प्रत्येक स्तर पर सभी पदों पर महिलाओं का एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित किया गया अर्थात् 33 प्रतिशत एक तिहाई महिला पंच सरपंच प्रधान प्रमुख बन सकेगी
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए भी जनसंख्या की अनुपात में पद आरक्षित रहेंगे
  • पंचायत की वित्तीय स्थितियों के संबंध में जांच करने के लिए प्रति पांचवें वर्ष वित्तीय आयोग का गठन किया जाएगा यह आयोग अपना प्रतिवेदन राज्यपाल को प्रस्तुत करेगा
  • राज्य विधान मंडल कानून बनाकर पंचायत को कर लगाने उन्हें वसूल करने और प्राप्त धन को व्यय करने का अधिकार प्रदान कर सकती हैं

राजस्थान पंचायती राज अधिनियम

राजस्थान पंचायती राज 1953 एवं पंचायत समिति एवं जिला परिषद अधिनियम 1959 को एक कर तथा 73वें संविधान के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान ने नया पंचायती राज अधिनियम 1994 ईस्वी में बनाया इसकी पूर्ति हेतु राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 भी बनाया गया जो 30 दिसंबर 1996 में लागू किया गया राजस्थान में समय-समय पर पंचायत को अधिक शक्तिशाली बनाने हेतु उपयुक्त वीडियो से संशोधन भी किया जाता रहा है

स्थापना

  • ग्राम पंचायत राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 9 के अनुसार राज्य सरकार ऐसे गांव या गांव के किसी समूह को समाविष्ट करने वाले किसी भी स्थानीय क्षेत्र को पंचायत सर्कल घोषित कर सकती हैं जो किसी नगर पालिका या छावनी बोर्ड में समाविष्ट ना हो इस घोषित स्थानीय क्षेत्र के लिए एक पंचायत होगी यह एक निगमित निकाय होगा जिसका शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मोर होगी तथा उसे पर वाद चलाया जा सकता है अथवा वह किसी पर वार्ड चला सकती हैं
  • पंचायत समिति रा. प. राज. अ. 1994 की धारा 10 के अनुसार राज्य सरकार एक ही जिले के भीतर के किसी भी स्थानीय क्षेत्र को एक खंड के रूप में घोषित कर सकती है और इस रूप में घोषित प्रत्येक खंड के लिए एक पंचायत समिति होगी जो अपने संपूर्ण खंड पर नगर पालिका छावनी बोर्ड क्षेत्र को छोड़कर अधिकारिता रखेगी यह एक निगमित निकाय होगी जिसका शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मोर होगी तथा उसे पर वार्ड चलाया जा सकता है या वह किसी पर वार्ड चला सकती है
  • जिला परिषद  रा. प. राज. अ. 1994 की धारा 11 के अनुसार प्रत्येक जिले के लिए एक जिला परिषद होगी जो संपूर्ण जिले पर नगर पालिका छावनी बोर्ड क्षेत्र को छोड़कर अधिकारिता रखेगी यह एक निगमित निकाय होगी जिसका शाश्वत उत्तराधिकारी और सामान्य मोर होगी तथा उसे पर वाद चलाया जा सकता है या वह किसी पर वार्ड चला सकती हैं

कार्यालय

  • ग्राम पंचायत ग्राम में
  • पंचायत समिति अपने अपवर्जित प्रभाव के भीतर समाविष्ट किसी भी क्षेत्र में अपना कार्यालय रख सकेगी

नाम

  • ग्राम पंचायत राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किंतु राज्य सरकार या तो स्वप्रेरणा सी अथवा पंचायत के या पंचायत के सर्कल के निवासियों के निवेदन पर विहित दृष्टि से प्रकाशित एक मास के नोटिस के पश्चात नाम परिवर्तन कर सकती हैं
  • जिला परिषद प्रत्येक जिला परिषद उसे जिले के नाम से होगी इसके लिए वह गठित की गई है

संरचना

  • ग्राम पंचायत किसी पंचायत में
  1. एक सरपंच और
  2. कितने वार्डो से प्रत्यक्ष है निर्वाचित पंच जो निर्धारित हैं या होंगे वार्डों के निर्धारण में राज्य सरकार जनसंख्या जहां तक देव बहरी हो कि सामान्य को ध्यान में रखेगी किंतु 3000 से अधिक जनसंख्या वाले पंचायत सर्कल में 9 वार्ड होंगे और 3000 से ज्यादा जनसंख्या पर प्रत्येक हजार या उसके भाग के लिए दो और की बढ़ोतरी कर दी जाएगी अधिनियम 1994 की धारा 12
  • पंचायत समिति पंचायत समिति
  1. उसे पंचायत समिति के निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्यक्ष तथा निर्वाचित सदस्य और ऐसे निर्वाचन क्षेत्र का
  2. प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य विधानसभा के सभी सदस्य जिम पंचायत समिति क्षेत्र संपूर्ण है या भक्त है समाविष्ट हैं एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले पंचायत समिति क्षेत्र में 15 है निर्वाचन क्षेत्र होंगे और एक लाख से अधिक प्रत्येक 15000 या उसके भाग के लिए दो और की बढ़ोतरी कर दी जाएगी
  • जिला परिषद जिला परिषद में
  1. उसे जिला परिषद के निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्यक्षता निर्वाचित सदस्य
  2. ऐसे निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा के और राज्य विधानसभा के सभी सदस्य जिम जिला परिषद क्षेत्र संपूर्ण या भागता है समाविष्ट है और
  3. जिला परिषद क्षेत्र के भीतर निर्वाचकों के रूप में रजिस्ट्रीकृत राज्यसभा के सभी सदस्य
  4. चार लाख से अधिक जनसंख्या वाले किसी जिला परिषद क्षेत्र में 17 सदस्य होंगे और चार लाख से अधिक प्रत्येक एक लाख किया उसके भाग के लिए दो और की बढ़ोतरी कर दी जाएगी

आरक्षण

  • ग्राम पंचायत प्रत्येक पंचायती राज संस्था के प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थान अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होंगे जिनमें से ⅓ स्थान इन वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे
  • महिलाओं का आरक्षण सामान्य वर्ग पर भी लागू होगा

अध्यक्षों के पदों पर आरक्षण

  • ग्राम पंचायत एससी एसटी ओबीसी का आरक्षण सरपंच प्रधान और प्रमुख पद पर भी लागू होगा जो उसे राज्य की कुल जनसंख्या के साथ  निकटतम अनुपात में होगा ऐसे आरक्षित पदों में से ⅓ पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे 

कार्यालय 

  • ग्राम पंचायत – 5 वर्ष विघटन होने से 6 महीने से पूर्व निर्वाचन आवश्यक किंतु 5 वर्ष के अंतिम छह माह में उपचुनाव लागू नहीं होंगे

यह भी जाने – Local Self Government | स्थानीय स्वायत्त शासन नोट्स

Rajya Vidhanmandal | राज्य विधान मंडल नोट्स

 

 

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